six kavita anwar suhail (PDF)




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क वताएं: अनवर सुहैल

मज़दरू दवस: काश ऐसा न होता
रात अंधड़ म
िछतराए फूस के छ पर को
करना है दरु त

ले कन समय कहाँ
अभी तो जाना है काम पर
फरसे फूल आये पेट म
कुलबुला रहा है जीव
अनमनी सी कराह रह घरवाली
रांध नह पाती भात...

भूखे पेट पैडल मारता भूरा

टटह
साइ कल खींच रहा
ससुर चैन साई कल क
काहे उतरती बार-बार
भूरा बेबस-लाचार,
ठ केदार का मुंशी भगा दे गा उसे
जो दे र से पहंु चा वो...
लड़ भी तो नह सकता
भगा दया गया तो
डू ब जायेगी तीन माह क मजूर
भूरा नह जानता
क आज मजदरू दवस है

आज तमाम मजदरू - वरोधी

ित ान म

मजदरू के योगदान और बिलदान पर
बोलगे अिभजा य मजदरू नेता

और शोषक ध नासेठ मािलक...

कैसे समझाएं...

कैसे समझाएं तु ह
क हम कोई
झु ड नह मवेिशय के
कैसे यक न दलाएं तु ह
क हमारे भी कई ख़◌्् वाब ह

छोट -छोट , इ ी-उ ी

वा हश ह

जनसे हम भूले रहते ह
अपने दःख
ु , अपनी िचंताएं...
तुम हमारे जीवन म
आते हो एक दखल क तरह
और िछतरा- बखरादे ते हो
हमारे रे त के घर दे ....
हमारे बीच से
पा िलए तुमने बचैिलए
और बन बैठे बलात

चरवाहा, माग-दशक, उ ारक...
जाओ, हम तु हे अब पहचान गए ह
और अपनी ताकत को जान गए ह...

म न पालो लोग ...
यह सोच कर खुश न ह
क हम बहत
ु सताया तुमने

हमे कोई नह सता सकता

हम तो स दय के सताए ह...
हम तो खटारा बस के सफ़र म
तलाश लेते ह एक संगीत
हम रे ल के जनरल कोच म
तलाश लेते ह मीत..
खुद पर नाज़ है हम
असु वधाओं, अभाव म पले ह हम
तभी तो फौलाद से ढले ह हम

वपर त धारा म तैरने का मज़ा
तुम

या जानो दो त...

सवाल उठते रहगे...
सवाल उठते ह रहगे
हम जा वये बदल कर
नये तक से सजाकर
दे ते रहते ह जवाब
जवाब कतने भी सट क ह
ले कन वे
मुतमईन हो नह होते...
संदेह के जंगल म
सवाल के दर त
फर- फर उग आते ह
और हम बार-बार
उ ह जवाब को

दहराते
थक जाते ह....

अब बस भी करो भाई
या तो सवाल बदल दो
या फर हम ब श दो....
चाहत
ये नफ़रत...
ये ज़ु मत...
ये लानत-मलामत...
ये तुहमत...
इं सान इसी पूज
ँ ी के बल पर
बसात बछाकर
िशखर-पु ष बन बैठता है ....
और ऐसे क ठन समय म
हम कतने बुरबक ह जी
जो खोज रहे ह
मुह बत..मुह बत...मुह बत....

अ न-पर



कहते ह क एक दाना से
पता चल जाता है
क हं डया म भात तैयार हआ
या नह

ले कन तुमने
एक-एक कर
चेक कये हं डया सारे दाने
फर भी आ

त नह हमसे....

आजमाइश क
कोई और तरक ब सोचो दो त
शक का कोई इलाज नह
हम नह ह हं डया के दाने
और क चे भी नह ह हं डया म
हम पके हए
ु ह पूरे

जतना क तुम हो दो त.....






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